मेरे सभी शिक्षकों को कोटि-कोटि प्रणाम
गुरु ब्रम्हा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः |
गुरुः साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्री गुरुवे नमः
(इस श्लोक का अर्थ है) कि गुरु ही ब्रह्मा (सृष्टि के रचयिता) है, गुरु ही विष्णु (पालन कर्ता) है और गुरु ही महेश्वर (शिव – संहारक) है। गुरु ही साक्षात परब्रह्म है, ऐसे गुरु को मेरा नमस्कार है।
मेरे सर्वस्व, मेरे गुरु (मेरे जीवन साथी)
आदरणीय पति देव (मेरे जीवन के प्रेरणा स्त्रोत) मेरे जीवन के पहले और सर्वश्रेष्ठ शिक्षक आज शिक्षा दिवस के अवसर पर इस पत्र के माध्यम से मैं आपके प्रति अपनी कृतज्ञता और सम्मान व्यक्त करना चाहती हूँ। मुझे मालूम है कि आपके द्वारा सिखाये गए मार्ग के लिये मेरे पास कोई शब्द ही नहीं है परन्तु आज अपनी भावनाओं वो मैं मन में जो 42 साल से आपके प्रति जो सामान को आज व्यक्त करना चाहती हूँ। यह जीवन व व्यक्तित्व (पहचान) आपसे मिला। आप हमेशा मेरे लिये एक मार्गदर्शन रहे हैं जो मेरे लिये किसी वरदान से कम नहीं है। ईमानदारी, सहनशीलता, सत्यता, मृदुभाषी, परिश्रमी जैसे संस्कार मुझे दिये ये संस्कार ही मेरी पहचान है आपने मुझे हमेशा मेहनत और सही राह पर चलने की शिक्षा (प्रेरणा) दी और आपने ही मुझे सिखाया कि केवल शिक्षा किताबी ज्ञान तक ही सीमित नहीं होती, बल्कि यह जीवन के अनुभवों वह व्यवहारिक मूल्यों से भी प्राप्त होती है। आपने हमेशा यही सिखाया कि शिक्षा का उद्देश्य केवल धन कमाना नहीं बल्कि परिवार वह मानवता और नैतिकता को समझना वह जीवन में उतारना भी है। ये बात (शब्द) आज भी मेरे जीवन को दिशा देते है आपने हर विपरीत परिस्थितियों में धैर्य और सन्तुलन, संयम किस प्रकार रखें ? कि शिक्षा दी और यही मेरे आदर्श हैं। आपकी मेहनत, लगन और विश्वास वह प्यार ने मुझे सब कुछ सिखा दिया और मेरे लिये जीन जीवन जीने का आधार बना। आपके प्यार वह मेरे प्रति जो विश्वास किया उसी से मुझे आत्मविश्वास और सफलता की दिया मिली। मैं उनके सहयोग एवं मार्ग दर्शन के लिये सदैव ऋणी रहूँगी। मुझे गर्व है कि आप मेरे पति परमेश्वर है और मैं परमपिता परमेश्वर का आभार व्यक्त करती हूँ कि उन्होंने मुझे आपकी धर्म पत्नि के रूप में भेजा और अगले हर जन्म में आपका साथ चाहती हूँ।
सादर
रमा शर्मा
(आपकी अर्धांगिनी)
डायरेक्टर आर के. एंडोक्राइन एण्ड डर्मा केयर सेन्टर,
पंचशील सी – ब्लॉक 929, अजमेर।